ॐ ब्रह्म सत्यम् सर्वाधार!
निवेदन
भगत बनारसी दास-एक ऐसा नाम जिसे अमरत्व का आशीर्वाद मिला, ऐक ऐसी हस्ती का नाम जो एक युगपुरुष योगिराज महात्मा मंगत राम को सब से अधिक प्रिय था, एक ऐसा प्रभु प्रेमी जिस पर महात्मा जी की पूर्ण कृपा रही, और जिसे सदा महापुरुष के चरणों मे रह कर सेवा करने का सौभाग्य प्राप्त था।
योगियों, तपस्वियों, सन्यासियों फ़कीरों की संगत तथा दिन रात, सर्दी गर्मी वर्षा की परवाह किये बिना, घनें जंगलों, ऊंचे पहाडों मे रह कर सेवा किसी साधारण मनुष्य की बात नहीं। बनारसी दास एक ऐसे असाधारण व्यक्तित्व का नाम था जिसे सेवा भाव की साक्षात मूर्ति कहा जा सकता है। महात्मा मंगत राम जी का चरण निवासी कोई महापुरुष ही हो सकता है, जिसे केवल महाराज जी ही जानते थे।
आज भगत जी को गए हुए एक लम्बा समय हो चुका है। चौंतीस (34) साल के इस अंतराल में एक नई पीढी सामने आ चुकी है जो भगत जी के नाम से परिचित है किन्तु उन्हें इन से मिलने का अवसर नहीं मिला। आज की युवा पीढी ने भगत जी के बारे में सुना बहुत होगा, पढा भी होगा फिर भी बहुत कुछ है जो शायद सामने नहीं आया।
संगत समतावाद मे आज भी बहुत से प्रेमी हैं जो भगत जी से सीधे सम्पर्क मे रहे। इन प्रेमियों मे से कुछ ने अपनी यादें और अनुभव यहां साँझा किए है। इनके अपनी युवावस्था की यादें आज के युवा वर्ग के सन्मुख रखी जा रहे हैं। गुरुदेव के आशीर्वाद से पत्रिका का यह विशेषाँक-भगत जी स्मृति- संगत की सेवा मे समर्पित है। ॐ ब्रह्म सत्यम् सर्वाधार।
प्रचार प्रसार विभाग, समतायोग आश्रम, जगाधरी.
आभार
समता दर्पण डिजिटल संस्करण
प्रचार-प्रसार समिति संगत समतावाद की ओर से इस प्रयास मे सहयोग के लिये सर्व श्री पी.एल.रिशी, ओम बख्शी, प्रदीप आनंद, त्रिलोक चंद समतावादी, रंजन सहगल, श्रीमती स्वर्ण लता, अर्चना गुलाटी, सुमन ऋषि को धन्यवाद । तकनीकी सहयोग तथा मुख्य आवरण सज्जा के लिए तरुण बाली तथा अमित लांबा जी को उनके उत्साह तथा सहयोग के लिए धन्यवाद । प्रेरणा के लिए मुखी सेवादार ओम बख्शी और मुखी ट्रस्टी राजीव वर्मा आभार ।
प्रचार प्रसार विभाग, समतायोग आश्रम, जगाधरी.
(https://samtavad.org/emagazine/ के प्रथम अंक को सीमित संख्या मे निशुल्क वितरण के लिये छपवाया गया यह विशेषाँक केवल संस्था के युवा सदस्यों मे online जानकारी देने हेतु है, किसी भी सार्वजनिक प्रचार, सूचना या समाचार प्रसारित करने अथवा खुले आबंटन के लिये नहीं)