ओम् ब्रह्म सत्यं निरंकार अजन्मा
अद्वैत पुरखा सर्व व्यापक
कल्याणमूरत परमेश्वराय नमस्तं

त्रयोदश अक्षर मन्त्र यह, सर्ब सिद्धी दातार।
जो सिमरे नित प्रेम से, मंगल पाये अपार।।
(ग्रंथ श्री समता प्रकाश)

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