ॐ ब्रह्म सत्यम् सर्वाधार!

*गुरुदेव का आशीर्वाद*

“जा तेरे लंगर में कभी कमी वाक्या न होगी”

एक दिन दोपहर के समय कमरे के सामने आसन पर गुरूदेव बैठे थे। भगत जी पास ही बैठे थे । शारीरिक सेहत तो काफी खराब ही चल रही थी। उस दिन डाक्टर ने आना था, मगर वह नहीं आया।

गुरूदेव :- (भगत जी से) प्रेमी, तू गुरू बनने के काबिल तो नहीं मगर हमारे बाद हमारा आसन तूने ही संभालना है । जा तेरे लंगर में कभी कमी वाक्या न होगी।

भगत जी खड़े-खड़े प्रणाम करने लगे। महाराज जी ने फरमाया, “ शैतान, अकड कर खडा है, चरणों मे पड”। भगत जी चरणों मे झुके। बाबू अमोलक राम जी ने जो कि पास ही कैमरा लेकर खडे दोनो तस्वीरें ले लीं।

इसके बाद महाराज जी ने बाबू जी को कुटिया की पिछली तरफ ले जाकर फरमाया –बाबू, तूने बनारसी के साथ रहना है। यह गलतियाँ कर जाता है । तुझे इसके साथ रहना होगा। तूने उसे सम्भालना है। इसे गिरने नहीं देना।

(जीवन गाथा, भाग-1,पृष्ठ 433)

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